मत भूल अरे इन्सान,
तेरी नेकी बदी,
नहीं उससे छुपी,
सब देख रहा भगवान,
मत भुल अरे इन्सान।।
है जिसने बनाया,
मिटाए वही,
फूल-काँटों को संग-संग,
खिलाए वही,
खेल जीवन-मरन का,
रचाए वही,
डाले माटी के पुतले में जान,
घाली माटी के पुतले में जान रे,
मत भुल अरे इन्सान।।
विधाता ने लिखा है,
उसे मान ले,
प्राण देता वही और,
वही प्राण ले,
तेरे बस में है क्या,
ये ज़रा जान ले,
तू है निर्बल तो वो है बलवान,
मत भुल अरे इन्सान।।
मत भूल अरे इन्सान,
तेरी नेकी बदी,
नहीं उससे छुपी,
सब देख रहा भगवान,
मत भुल अरे इन्सान।।
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