मत बांधो गठरिया अपयश की,
अपयश रे पराये जस की,
मत बांधो गठरिया अपयश की।।
बालपणो हस खेल गवायो,
बीती उमरिया दिन दस की,
मत बांधो गठरिया अपयश की।।
यम का दूत मुकदरा मारे,
आटी निकाले थारी नस नस की,
मत बांधो गठरिया अपयश की।।
मात पिता से मुख से न बोले,
तिरया से बाता करे घट घट की,
मत बांधो गठरिया अपयश की।।
कहत कबीरा सुनो रे संता,
या दुनिया हे मतलब की,
मत बांधो गठरिया अपयश की।।
मत बांधो गठरिया अपयश की,
अपयश रे पराये जस की,
मत बांधो गठरिया अपयश की।।
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