मनवा तू दुःख पासी रे,
जिवड़ा तू दुःख पासी रे,
लियो ना हरी को नाम,
साथे थार काई ले जासी रे,
लियो ना हरी को नाम,
साथे थार काई ले जासी रे।।
ए दान पुन करसी तो जग थन,
भलो बतासी रे,
बीना भजे भगवान भजन बीना,
मुक्ति ना पासी रे,
मनवा तु दुःख पासी रे,
जिवड़ा तु दुःख पासी रे,
लियो ना हरी को नाम,
साथे थार काई ले जासी रे।।
ए धर्मराज जब लेखो लेसी,
क्या बतलासी रे,
पड़सी मुगदर मार वटे,
थन कुण सोडासी रे,
मनवा तु दुःख पासी रे,
जिवड़ा तु दुःख पासी रे,
लियो ना हरी को नाम,
साथे थार काई ले जासी रे।।
भाई बंधू कुटुम्ब कबीलो,
यहाँ रे जासी रे,
अरे ऊड़ जाएगो हंसो,
काया काम ना आसी रे,
मनवा तु दुःख पासी रे,
जिवड़ा तु दुःख पासी रे,
लियो ना हरी को नाम,
साथे थार काई ले जासी रे।।
सतगुरु कालुराम दया कर,
ग्यान बतासी रे,
अरे हिन जाण कर धना भग्त,
थन पार लगासी रे,
मनवा तु दुःख पासी रे,
जिवड़ा तु दुःख पासी रे,
लियो ना हरी को नाम,
साथे थार काई ले जासी रे।।
मनवा तू दुःख पासी रे,
जिवड़ा तू दुःख पासी रे,
लियो ना हरी को नाम,
साथे थार काई ले जासी रे,
लियो ना हरी को नाम,
साथे थार काई ले जासी रे।।
गायक – बालुराम सियाक।
प्रेषक – महेंद्र ढाका।
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