मनड़ो झूम उठ्यो फागण में,
चालो साँवरिया के द्वार,
मनड़ों झूम उठ्यो,
होली के मिस श्याम धणी से
करस्या बाता चार,
मनड़ो झूम उठ्यो।।
म्हारी पहली बात साँवरा,
दया बणाई राखो जी,
थारी दया बिन सुनो सुनो,
थारी दया बिन सुनो सुनो,
लागे यो संसार,
मनड़ों झूम उठ्यो,
मनड़ों झूम उठ्यो फागण में,
चालो साँवरिया के द्वार,
मनड़ों झूम उठ्यो।।
बात दूसरी रंग जावा मैं,
थारे रंग में साँवरिया,
थे चाहो तो सब कुछ हो जा,
थे चाहो तो सब कुछ हो जा,
करो श्याम स्वीकार,
मनड़ों झूम उठ्यो,
मनड़ों झूम उठ्यो फागण में,
चालो साँवरिया के द्वार,
मनड़ों झूम उठ्यो।।
सदा राख चरणा के माही,
आती जी अरदास मेरी,
तेरी सेवा करता करता,
तेरी सेवा करता करता,
होजा जीवन पार,
मनड़ों झूम उठ्यो,
मनड़ों झूम उठ्यो फागण में,
चालो साँवरिया के द्वार,
मनड़ों झूम उठ्यो।।
‘मातृदत्त’ की चौथी बात या,
श्याम सुंदर धर ध्यान सुनो,
पग पग म्हारी रक्षा करियो,
पग पग म्हारी रक्षा करियो,
ओ लीले असवार,
मनड़ों झूम उठ्यो,
मनड़ों झूम उठ्यो फागण में,
चालो साँवरिया के द्वार,
मनड़ों झूम उठ्यो।।
मनड़ो झूम उठ्यो फागण में,
चालो साँवरिया के द्वार,
मनड़ों झूम उठ्यो,
होली के मिस श्याम धणी से
करस्या बाता चार,
मनड़ो झूम उठ्यो।।
स्वर – शुभम ठाकुर।