मानव तू है मुसाफिर दुनिया है धर्मशाला लिरिक्स

मानव तू है मुसाफिर,
दुनिया है धर्मशाला,
संसार क्या है सपना,
वो भी अजब निराला।।

तर्ज – मुझे इश्क़ है तुझी से।



ये रैन है बसेरा,

है किराए का ये डेरा,
उसमे फसा है फेरा,
ये तेरा है ये मेरा,
शीशे को मान बैठा,
तू मोतियों की माला,
संसार क्या है सपना,
वो भी अजब निराला,
मानव तु हैं मुसाफिर,
दुनिया है धर्मशाला।।



जनमों का पुण्य संचित,

नर देह तूने पाया,
कंचन और कामिनी में,
इसे व्यर्थ ही गंवाया,
कौड़ी के मौल तूने,
हीरे को बेच डाला,
संसार क्या है सपना,
वो भी अजब निराला,
मानव तु हैं मुसाफिर,
दुनिया है धर्मशाला।।



नश्वर है तन का ढांचा,

बालू की भीत कांचा,
ऋषियों ने परखा जांचा,
बस राम नाम सांचा,
चख के तू पी शिकारी,
सियाराम नाम प्याला,
संसार क्या है सपना,
वो भी अजब निराला,
मानव तु हैं मुसाफिर,
दुनिया है धर्मशाला।।



मानव तू है मुसाफिर,

दुनिया है धर्मशाला,
संसार क्या है सपना,
वो भी अजब निराला।।

स्वर – पूज्य राजन जी महाराज।
प्रेषक – कुमार शिवम।
8468006795


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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