मन रे चेतन हो जा भाई,
दोहा – मस्तक पर गुरू देव जी,
हिरदे बिराजो राम,
रामदास दोनू पका,
सब विधि पूर्ण काम।
चिंता दीन दयाल को,
मो मन सदा आनंद,
जाया सो प्रतिपालसी,
रामदास गोविंद।
नमो राम गुरु देवजी,
जन त्रिकाल के बंध,
विघ्न हरण मंगल करण,
श्री रामदास आनंद।
वन्द चरण गुरु देव का,
निश दिन आठों याम,
मनीराम सहजा सरे,
सुफल मनोरथ काम।
और न दूजो आसरो,
तुम ही सेती काम,
सूरत राम की मानजो,
हरी गुरु सन्त प्रणाम।
मन रे चेतन हो जा भाई,
तुम को जाणा दूर दिसावर,
गुरुगम गाड़ी आई,
बीरा म्हारा चेतन होजा भाई।।
ओ संसार बड़ो स्टेशन,
भीड़ भाड़ बहु थाई,
केई मुसाफिर आय के उतरिया,
केई करे चढ़ाई,
मन रे चेतन हों जा भाई।।
सत्संग बंगले घंटी बाजी,
सत की आवाज सुणाई,
राम नाम रा पास कटा लो,
कोई रोकणियो नाही,
मन रे चेतन हों जा भाई।।
अणभय शहर आगरा कहिये,
डाक डिगम्बर आई,
गुरु डलेवर हाकण लागा,
प्रगट लाय ठहराई,
मन रे चेतन हों जा भाई।।
मोक्ष की बारी मेहर कर खोली,
बेगो चढ़जा भाई,
प्रेम सीट पे आसन करलो,
खूब बोझ धरसाई,
मन रे चेतन हों जा भाई।।
अष्ट भोलाऊ पहुँचावण आया,
छेली सीख दिराई,
मात पिता थारो कुटम्ब कबीलो,
सभी आशा छिटकाई,
मन रे चेतन हों जा भाई।।
चेतन शक्ति सेण बताई,
सुद्द बुध्द लेण चलाई,
सप्त भोमका पाँच कोस में,
गाड़ी रुकेली नाही,
मन रे चेतन हों जा भाई।।
हद बेहद की सेला करलो,
सतगुरु जुगति बताई,
जन दरियाव शरण सतगुरु के,
राम सिंवर सुख पाई,
मन रे चेतन हों जा भाई।।
मन रे चेतन होजा भाई,
तुम को जाणा दूर दिसावर,
गुरुगम गाड़ी आई,
बीरा म्हारा चेतन होजा भाई।।
गायक – सन्त सीताराम जी,बासनी सेजा।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052