मन मेरा मत कर जग से प्रीत,
आखिर हाणी रे।।
ये दुनिया हैं अजब निराली,
ऊपर उजली भीतर काली,
पल में नुत जिमावन वाली,
पल में खोसे पुरसी थाली,
पलक पलक में बदले जैसे,
या तू पाणी रे,
मन मेरा मत कर जग से प्रित,
आखिर हाणी रे।।
कदम कदम पर धोखेबाजी,
पल में दुश्मन पल में राजी,
एक पलक में अरबपति,
ओर एक पलक में हारे बाजी,
एक पलक में भरे नीच घर,
या तू पाणी रे,
मन मेरा मत कर जग से प्रित,
आखिर हाणी रे।।
दुनियादारी औगुणकारी,
मतलब की सब रिश्तेदारी,
मात पिता बंधु सुत नारी,
पल में प्यारी पल में खारी,
अपने स्वारथ बोले आतो,
मीठी वाणी रे,
मन मेरा मत कर जग से प्रित,
आखिर हाणी रे।।
सासु सुसरा साला साली,
बिन मतलब की देवे गाली,
बिन स्वारथ के मिलणो भारी,
मतलब हो तो देय जुवारी,
बिन मतलब के कदे न देवे,
गोटी काणी रे,
मन मेरा मत कर जग से प्रित,
आखिर हाणी रे।।
मतलब का सब राम सामा,
किसकी मामी किसका मामा,
स्वारथ के बस रेवे राजी,
मोको लाग्या मारले बाजी,
छोड सकल परिवार सिधावे,
आतो नानी रे,
मन मेरा मत कर जग से प्रित,
आखिर हाणी रे।।
किसकी मासी किसका मासा,
देता फिरे जगत में झांसा,
पलक पलक में पलटे पासा,
रोज गजब का करे तमाशा,
सुण भाई सत्तू दे दे तू तो,
दाळ में पाणी रे,
मन मेरा मत कर जग से प्रित,
आखिर हाणी रे।।
मन मेरा मत कर जग से प्रीत,
आखिर हाणी रे।।
गायक – सम्पत दाधीच।
(फरडोद, नागौर)
प्रेषक – पवन पारीक।