मैया की किरपा,
जिस पर भी रहती है,
उसके घर में सुख की,
गंगा बहती है,
पूछ लो चाहे तुम,
मैया के भक्तो से,
मैं नही कहता,
सारी दुनिया कहती है,
मईया की किरपा,
जिस पर भी रहती है,
उसके घर में सुख की,
गंगा बहती है।।
तर्ज – दूल्हे का सेहरा।
प्यार का सागर है ये,
ममता की मूरत है,
साथ है मैया तो फिर,
किसकी जरुरत है,
मूरत माँ की,
जिसके दिल में होती है,
उसके घर में सुख की,
गंगा बहती है
मईया की किरपा,
जिस पर भी रहती है,
उसके घर में सुख की,
गंगा बहती है।।
प्रेम से जिसने भी,
मैया को पुकारा है,
माँ ने आकर के,
दिया उसको सहारा है,
हाथ अगर ये थाम,
किसी का लेती है,
उसके घर में सुख की,
गंगा बहती है,
श्याम धनी की किरपा,
जिस पर रहती है,
उसके घर में सुख की,
गंगा बहती है।।
मईया के चरणो में,
तीरथ धाम है सारे,
है यही पे स्वर्ग,
आकर देखले प्यारे,
शरण में अपने,
जिसको माँ ले लेती है,
उसके घर में सुख की,
गंगा बहती है,
श्याम धनी की किरपा,
जिस पर रहती है,
उसके घर में सुख की,
गंगा बहती है।।
वो है बड़भागी जिसे,
मैया ने अपनाया,
है मेरे सर पर भी,
उसके प्यार का साया,
‘सोनू’ जिसकी चिंता,
मैया करती है,
उसके घर में सुख की,
गंगा बहती है,
श्याम धनी की किरपा,
जिस पर रहती है,
उसके घर में सुख की,
गंगा बहती है।।
मैया की किरपा,
जिस पर भी रहती है,
उसके घर में सुख की,
गंगा बहती है,
पूछ लो चाहे तुम,
मैया के भक्तो से,
मैं नही कहता,
सारी दुनिया कहती है,
मईया की किरपा,
जिस पर भी रहती है,
उसके घर में सुख की,
गंगा बहती है।।
स्वर – सौरभ मधुकर।