मैंने सबका होकर देख लिया,
बस आपका होना बाकी है,
मैंने सबकुछ खोकर देख लिया,
बस खुद को खोना बाकी है।।
तर्ज – बाबुल की दुआएं।
तेरे प्यार में रो रो सांवरिया,
आँखों से आंसू बहते है,
प्रेमी के आंसू ओ बाबा,
बस तुमसे इतना कहते है,
तेरे इन पावन चरणों को तो,
तेरे इन पावन चरणों को तो,
इक बार भिगोना बाकी है,
मैने सबका होकर देख लिया,
बस आपका होना बाकी है।।
श्रृद्धा के पावन धागे में,
मैंने भाव की कलियां पिरोई हैं,
आँखो के गंगाजल से प्रभु,
मैंने इक इक कली भिगोई है,
तेरी इस प्यारी छवि के लिए,
तेरी इस प्यारी छवि के लिए,
इक हार पिरोना बाकी है,
मैने सबका होकर देख लिया,
बस आपका होना बाकी है।।
अब बहुत हुआ मैंने देख लिया,
दुनिया का आगे रो रो कर,
जिनको मैंने अपना समझा,
उनसे ही खाई है ठोकर,
रोया मैं बहुत जग के आगे,
रोया मैं बहुत जग के आगे,
तेरे आगे रोना बाकी है,
मैने सबका होकर देख लिया,
बस आपका होना बाकी है।।
ये रंग बिरंगी दुनिया है,
यहाँ रंग बिरंगे सपने है,
जग घूम लिया जग देख लिया,
यहाँ मतलब पे सब अपने है,
महलों में बैठ लिया ‘रोमी’,
महलों में बैठ लिया ‘रोमी’,
मंदिर का कोना बाकी है,
मैने सबका होकर देख लिया,
बस आपका होना बाकी है।।
मैंने सबका होकर देख लिया,
बस आपका होना बाकी है,
मैंने सबकुछ खोकर देख लिया,
बस खुद को खोना बाकी है।।
स्वर – संजय पारीक जी।
लेखक – रोमी जी।