ऐलान करता हूँ,
सरेआम करता हूँ,
मैं तो मेरे ही श्याम का,
गुणगान करूँगा,
बस श्याम जपूँगा,
ऐलान करता हूँ।।
तर्ज – जब हम जवां होंगे।
गुजरे दिनों की याद,
मुझे जब आती है,
इन अँखियों की पलके,
भीगी जाती है,
कैसे संभाला श्याम ने,
मैं ना भूलूंगा,
बस श्याम जपूँगा,
ऐलान करता हूँ।
ऐलान करता हूं,
सरेआम करता हूँ,
मैं तो मेरे ही श्याम का,
गुणगान करूँगा,
बस श्याम जपूँगा,
ऐलान करता हूँ।।
जबसे मुझको श्याम ने,
अपनाया है,
मेरी हार को मेरी जित,
बनाया है,
अब जीवन की हर बाजी तो,
बस मैं जीतूंगा,
बस श्याम जपूँगा,
ऐलान करता हूँ।
ऐलान करता हूं,
सरेआम करता हूँ,
मै तो मेरे ही श्याम का,
गुणगान करूँगा,
बस श्याम जपूँगा,
ऐलान करता हूँ।।
समझ ना पाया,
इनसे कैसा नाता है,
पल में बदली दुनिया,
ऐसा दाता है,
इनकी किरपा की छाव तले,
मैं रहूँगा,
बस श्याम जपूँगा,
ऐलान करता हूँ।
ऐलान करता हूं,
सरेआम करता हूँ,
मै तो मेरे ही श्याम का,
गुणगान करूँगा,
बस श्याम जपूँगा,
ऐलान करता हूँ।।
‘निर्मल’ ने ये जबसे,
ज्योत जगाई है,
इज्जत की दौलत भी,
खूब कमाई है,
मैं तो डंके की चोट पे,
ये बात कहूंगा,
बस श्याम जपूँगा,
ऐलान करता हूँ।
ऐलान करता हूं,
सरेआम करता हूँ,
मै तो मेरे ही श्याम का,
गुणगान करूँगा,
बस श्याम जपूँगा,
ऐलान करता हूँ।।
ऐलान करता हूँ,
सरेआम करता हूँ,
मै तो मेरे ही श्याम का,
गुणगान करूँगा,
बस श्याम जपूँगा,
ऐलान करता हूँ।।
Singer : Sanjay Mittal Ji