मैं तो चूरू में जाई आई रे,
दर्शन बाबोसा का कर आई रे,
सखी म्हारे मनडे खुशियां छाई रे,
दर्शन बाबोसा का कर आई रे।।
तर्ज – मैं तो मेले में जा आई रे।
चूरू नगर में आई मैं तो,
टाबरिया ने लाई,
बाबोसा रे मंदिर माही,
पूजा पाठ कराई,
मैं तो मन ही मन हर्षाई रे,
दर्शन बाबोसा का कर आई रे,
सखी म्हारे मनडे खुशियां छाई रे,
दर्शन बाबोसा का कर आई रे।।
बाबोसा री मूरत प्यारी,
जाँऊ मैं बलिहारी,
शीश मुकुट हाथा में घोटा,
लीले की असवारी,
मैं तो छवि दिल मे बसाई रे,
दर्शन बाबोसा का कर आई रे,
सखी म्हारे मनडे खुशियां छाई रे,
दर्शन बाबोसा का कर आई रे।।
चूरू धाम में भक्तो री,
या भीड़ घणेरी आवे,
कोई आवे पैदल पैदल,
कोई मोटर लैय्यावे,
‘दिलबर’ पेट पलणिया आई रे,
दर्शन बाबोसा का कर आई रे,
सखी म्हारे मनडे खुशियां छाई रे,
दर्शन बाबोसा का कर आई रे।।
मैं तो चूरू में जाई आई रे,
दर्शन बाबोसा का कर आई रे,
सखी म्हारे मनडे खुशियां छाई रे,
दर्शन बाबोसा का कर आई रे।।
गायिका – पुजा जांगिड़ राजस्थान।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
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