मैं मछली तुम नीर,
श्लोक – नमो नमो जय श्री वृन्दावन,
रस बरसत घनघोर,
नमो नमो जय कुञ्ज महल नित,
नमो नमो प्रीतम चित चोर,
नमो नमो श्री कुञ्ज बिहारिन,
नमो नमो जय श्री हरिदासी,
नमो नमो यह इनकी जोरी।।
मैं मछलि तुम नीर,
गुरुवर मैं मछली तुम निर,
मै मछली तुम नीर,
सतगुरु मै मछली तुम नीर,
मै मछली तुम नीर।।
श्री गुरु प्राण संजीवन मेरे,
श्री गुरु प्राण संजीवन मेरे,
इन बिन नहीं शरीर,
मैं मछलि तुम नीर,
सतगुरु मै मछली तुम निर,
मै मछली तुम नीर।।
कर दो कृपा गुरुदेव मेरे,
कर दो कृपा गुरुदेव मेरे,
कर दो कृपा गुरुदेव।
गुरु ही पिलावे प्रेम का प्याला,
गुरु ही पिलावे प्रेम का प्याला,
बदल जाए तक़दीर,
मैं मछलि तुम नीर,
सतगुरु मै मछली तुम नीर,
मै मछली तुम निर।।
कर दो कृपा गुरुदेव मेरे,
कर दो कृपा गुरुदेव मेरे,
कर दो कृपा गुरुदेव।
श्री गुरु वृंदा विपिन बसावे,
श्री गुरु वृंदा विपिन बसावे,
पागल मन धर धीर,
मैं मछलि तुम नीर,
सतगुरु मैं मछली तुम नीर,
मै मछली तुम नीर।।
कर दो कृपा गुरुदेव मेरे,
कर दो कृपा गुरुदेव मेरे,
कर दो कृपा गुरुदेव।
मै मछली तुम नीर,
गुरुवर मैं मछली तुम नीर,
मैं मछलि तुम निर,
सतगुरु मैं मछली तुम निर,
मैं मछलि तुम निर।।