मुझको तो बस,
महाकाल बाबा चाहिए,
महाकाल की नगरी में,
मकान होना चाहिए।।
हर दिन बाबा तेरे,
दर पे में आऊंगा,
रोज सुबह शाम तेरे,
दर्शन पाउंगा,
मुझको तो रोज,
तेरा दर्शन चाहिए,
महाकाल की नगरी मे,
मकान होना चाहिए।।
आपका तो लगता है,
एक ही सपना,
बाबा महाकाल जपना,
और महाकाल अपना।
क्षिप्रा जी में नहाकर,
माँ हरसिद्धि भी जाउंगा,
चिंतामन गणेश जाकर,
चिंता मिटाऊंगा,
काल भैरव बाबा के भी,
दर्शन मुझे चाहिए,
महाकाल की नगरी मे,
मकान होना चाहिए।।
ना पैसा लगता है,
ना खर्चा लगता है,
बाबा महाकाल बोलिये,
बड़ा अच्छा लगता है।
तेरी ही कृपा से बाबा,
सारा ये संसार है,
‘किशन भगत’ पर भी तो बाबा,
तेरा आशीर्वाद है,
तेरी ही कृपा से सारे,
काम होना चाहिए,
महाकाल की नगरी मे,
मकान होना चाहिए।।
महाकाल तुम से छुप जाये,
ऐसी कोई बात नहीं,
कृपा तेरी मुझ पर है,
मेरी कोई औकात नहीं।
ओम नमः शिवाय,
ओम नमः शिवाय।
मुझको तो बस,
महाकाल बाबा चाहिए,
महाकाल की नगरी में,
मकान होना चाहिए।।
गायक – किशन भगत।
प्रेषक – निर्मल पाटीदार।
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[…] तर्ज – महाकाल की नगरी में मकान। […]