माँ तेरी रहमत ने,
तारिया ए जग सारा।
दोहा – किंझ लिखा मैं तेरी रहमत वारे,
जेहड़ी तू बक्शी हैं माये नी,
मेरा एकला एकला साह भी तेरा,
माँ लख लख शुक्र मनाये नी,
माँ लख लख शुक्र मनाये नी।
माँ तेरी रहमत ने,
तारिया ए जग सारा,
जो श्रद्धा नाल सिमरन करदा,
जो श्रद्धा नाल सिमरन करदा,
होवे पार उतारा,
मां तेरी रहमत ने,
तारिया ए जग सारा।।
धरती गगन पाताल च माये,
तेरी ही है माया,
ऋषि मुनी सिद्ध जोगिया ने भी,
भेद न तेरा पाया,
चन सूरज तारे भी चमकन,
चन सूरज तारे भी चमकन,
लैके नाम सहारा,
मां तेरी रहमत ने,
तारिया ए जग सारा।।
चार युगा विच तेरी ज्योति,
जगमग जगमग जगदी,
दसों दिषावा चानण करदी,
बड़ी प्यारी लगदी,
हर एक मंदिर हर मन अंदर,
हर एक मंदिर हर मन अंदर,
पैंदा है लिश्कारा,
मां तेरी रहमत ने,
तारिया ए जग सारा।।
तेरियां रमझा साडिया समझा,
फर्क है इस विच वाहला,
महिमा लिख लिख धन हो गया,
करमा रोपड़ वाला,
तू भगतां दी वाह फड़ लैंदी,
जद भगतां दी वाह फड़ लैंदी,
देंदी आप सहारा,
मां तेरी रहमत ने,
तारिया ए जग सारा।।
मां तेरी रहमत ने,
तारिया ए जग सारा,
जो श्रद्धा नाल सिमरन करदा,
जो श्रद्धा नाल सिमरन करदा,
होवे पार उतारा,
मां तेरी रहमत ने,
तारिया ए जग सारा।।
Singer / Upload By – Ashok Kumar
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