माँ तेरे दरश का प्यासा हूँ,
तु दर्शन दे इक पल के लिये॥
तर्ज़-आवारा हवा का झोंका हूँ
माँ तेरे दरश का प्यासा हूँ,
तु दर्शन दे इक पल के लिये,
आया हूँ तेरे दर पे माँ,
सब छोड़ के जीवन भर के लिये॥॥
माँ ओ मेरी अम्बे माँ,
माँ ओ मेरी अम्बे माँ ॥
दौलत ना मिले शोहरत ना मिले,
मुझे मिल जाये तेरा दर्शन माँ,
ले आस मैं दर तेरे आया हूँ,
सब छोड़ के जीवन भर के लिये॥॥
तेरे दर पे जो भी आये,
पाये वो तुझसे नजराना,
बन जाये तेरा सेवक वो,
सब छोड़ के जीवन भर के लिये॥॥
मै अज्ञानी मातारानी,
मुझे ज्ञान क सागर दे जाना,
दो फुल मे चुनकर लाया हूँ,
सब छोड़ के जीवन भर के लिये॥॥
सेवक तेरा ये जग सारा,
शक्ति माँ अपनी दिखलाना,
सब भक्त खड़े तेरे द्वारे पे,
सब छोड़ के जीवन भर के लिये॥॥
माँ तेरे दरश का प्यासा हू,
तु दर्शन दे इक पल के लिये॥