माँ सिंह पे सवार है,
हाथों में तलवार है,
है रूप विकराला,
है भृकुटि विशाला,
कर में तेरे भाल है,
तू दुष्टो की काल है।।
चंडी जगदम्बे भवानी,
काली महाकाली माँ,
दुष्टो को मारने वाली,
है शक्तिशाली माँ,
नैना तेरे विशाल माँ,
मुकुट स्वर्ण भाल माँ,
है रूप विकराला,
है भृकुटि विशाला,
कर में तेरे भाल है,
तू दुष्टो की काल है।।
चण्ड मुण्ड मारने वाली,
महिषासुर घातनी,
गल मुण्डो की माला,
खड़ग की धारणी,
है शुम्भ विदारे माँ,
निशुम्भ संहारे माँ,
है रूप विकराला,
है भृकुटि विशाला,
कर में तेरे भाल है,
तू दुष्टो की काल है।।
क्रोध महाकाली माँ का,
थम नहीं पाया था,
शिव जी मारग में लेटे,
शांत कराया था,
देवो ने की प्रार्थना,
माँ क्रोध को थामना,
है रूप विकराला,
है भृकुटि विशाला,
कर में तेरे भाल है,
तू दुष्टो की काल है।।
माँ सिंह पे सवार है,
हाथों में तलवार है,
है रूप विकराला,
है भृकुटि विशाला,
कर में तेरे भाल है,
तू दुष्टो की काल है।।