माँ रात को सपने में,
श्री बाबोसा आये,
फिर प्यार से वो सर पे,
मेरे हाथ घुमाये,
माँ रात को सपने मे,
श्री बाबोसा आये।।
कल रात मैंने देखी,
उनकी प्यारी सी सूरत,
उसे देखने को माँ मेरा,
अब जी ललचाये,
माँ रात को सपने मे,
श्री बाबोसा आये।।
एक बार मुझे ले चल,
श्री बाबोसा के दर पे,
ये सपना सच हो जाये,
मुझे दर पर जो जाये,
माँ रात को सपने मे,
श्री बाबोसा आये।।
ओ मैया मेरी सुनले,
कल रात का नजारा,
सिरहाने वो खड़ा था,
माँ छगनी का दुलारा,
सर पे मुकुट था जिनके,
हाथो में घोटा धारे,
देखा है जबसे उनको,
ये नैन हुए मतवारे,
एकटक निहार रहे थे,
उनको ये मेरे नैन,
अब दर्श बिना उनके,
मुझे आये न चैन,
माँ रात को सपने मे,
श्री बाबोसा आये।।
माँ रात को सपने में,
श्री बाबोसा आये,
फिर प्यार से वो सर पे,
मेरे हाथ घुमाये,
माँ रात को सपने मे,
श्री बाबोसा आये।।
गायक – श्री दीपक मलोहत्रा।
लेखक – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
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