माँ गौरी के लाल गजानन,
आज आओ पधारो मेरे आँगन,
गौरी शंकर के लाल गजानन।।
तर्ज – वृन्दावन के ओ बांके बिहारी।
वीर गणपत उमापुत्र प्यारे,
सारी श्रष्टि है तेरे सहारे,
सारी श्रष्टि है तेरे सहारे,
मंगल मूर्ति है मूषक वाहन,
आज आओ पधारो मेरे आँगन,
मां गौरी के लाल गजानन,
आज आओ पधारो मेरे आँगन,
गौरी शंकर के लाल गजानन।।
मंगल करता सिद्धिदाता विनायक,
बुद्धि प्रियवक्रतुंड मुक्तिदायक,
बुद्धि प्रियवक्रतुंड मुक्तिदायक,
भक्त नाचे बजाते है बाजन,
आज आओ पधारो मेरे आँगन,
मां गौरी के लाल गजानन,
आज आओ पधारो मेरे आँगन,
गौरी शंकर के लाल गजानन।।
विघ्नहर्ता प्रभु विघ्नेश जी,
कष्ट काटों मेरे श्री गणेश जी,
कष्ट काटों मेरे श्री गणेश जी,
लिखते देवेन्द्र अमित मांगे मांगन,
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आज आओ पधारो मेरे आँगन,
मां गौरी के लाल गजानन,
आज आओ पधारो मेरे आँगन,
गौरी शंकर के लाल गजानन।।
माँ गौरी के लाल गजानन,
आज आओ पधारो मेरे आँगन,
गौरी शंकर के लाल गजानन।।
स्वर – श्री देवेन्द्र पाठक जी महाराज।