लिया भेख मर्दाना अवधू मन मेरा मस्ताना डुगरपुरी जी भजन

सतगुरू हाथ धरीया सिर उपर,
सही-सही नाम सुणाया है,
अमर जड़ी रा पिया प्याला,
तोही-तोही तार मिलाया है,
लिया भेख मर्दाना अवधू,
मन मेरा मस्ताना।।



तीन गुणो री दाता रैण ठहराया,

धिरे-धिरे शिखर चढाया है,
योग करे बाबे मालुम किन्ही,
हक से हुकम हलाया है,
लिया भेख मर्दाना अवधु,
मन मेरा मस्ताना।।



अकल कला दरवाजे उबी,

ईन्द्र सहारे बणाया है,
शशी र भाण लागा छड़ाका,
जुना गाव दिखाया है,
लिया भेख मर्दाना अवधु,
मन मेरा मस्ताना।।



अकल कला ओर भक्ती टोपी,

खमिया रा खड़क बनाया है,
पहर खाख खेतर पर लड़ीया,
हैमर दुर हटाया है,
लिया भेख मर्दाना अवधु,
मन मेरा मस्ताना।।



पदम सिहासन मेरो मन लागो,

दर्शन रा फल पाया है,
बाबो डुगरपुरी अब नही डरना,
अविनशी वर पाया है,
लिया भेख मर्दाना अवधु,
मन मेरा मस्ताना।।



सतगुरू हाथ धरीया सिर उपर,

सही-सही नाम सुणाया है,
अमर जड़ी रा पिया प्याला,
तोही-तोही तार मिलाया है,
लिया भेख मर्दाना अवधू,
मन मेरा मस्ताना।।

गायक – कल्याणभारती गोलिया।
प्रेषक – वागभारती धनवा।
7976936830


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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