लाज रखो मेरे श्याम,
बड़ी दूर से आया हूँ सांवरे,
कहने दिल की बात,
लाज रखो मेरे श्याम,
मैं तो हूँ दीन अनाथ,
कहाते हो तुम दीनानाथ,
लाज रखों मेरे श्याम,
बड़ी दूर से आया हूँ सांवरे,
कहने दिल की बात,
लाज रखों मेरे श्याम।।
तर्ज – नफरत की दुनिया को।
गम के थपेड़ो से,
हर दम ही हारा हूँ,
अपनों में रह कर भी,
मैं बेसहारा हूँ,
तुमसे ना कुछ भी छिपे है,
श्याम मेरे हालात,
लाज रखों मेरे श्याम,
बड़ी दूर से आया हूँ सांवरे,
कहने दिल की बात,
लाज रखों मेरे श्याम।।
दुनियाँ की आँखों में,
चुभने लगा हूँ मैं,
अपने ही साये से,
डरने लगा हूँ मैं,
आँखों से भी होने लगी,
अब अश्को की बरसात,
लाज रखों मेरे श्याम,
बड़ी दूर से आया हूँ सांवरे,
कहने दिल की बात,
लाज रखों मेरे श्याम।।
आंसू ही है केवल,
तुम्हे भेंट चढ़ाने को,
अब थाम लो आकर,
कान्हा दीवाने को,
झोली में ‘मोहित’ की,
डाल दो प्रेम की सौगात,
लाज रखों मेरे श्याम,
बड़ी दूर से आया हूँ सांवरे,
कहने दिल की बात,
लाज रखों मेरे श्याम।।
बड़ी दूर से आया हूँ सांवरे,
कहने दिल की बात,
लाज रखो मेरे श्याम,
मैं तो हूँ दीन अनाथ,
कहाते हो तुम दीनानाथ,
लाज रखों मेरे श्याम,
बड़ी दूर से आया हूँ सांवरे,
कहने दिल की बात,
लाज रखों मेरे श्याम।।
गायक – हरी शर्मा जी।