कुटुंब तजि शरण,
राम तेरी आयो।।
भरी सभा में रावण बैठ्यो,
चरण प्रहार चलायो,
मुरख अंध कहा नहीं माने,
बार बार समझायो,
कुटुंब तजि शरन,
राम तेरी आयो।।
आवत ही लंकापति कीनो,
हरि हस कंठ लगायो,
जनम जनम के मिटे प्राभव,
राम दरश जब पायो,
कुटुंब तजि शरन,
राम तेरी आयो।।
हे रघुनाथ अनाथ के बंधू,
दीन जान अपनायो,
तुलसीदास रघुवीर शरण से,
भक्ति अभय पद पायो,
कुटुंब तजि शरन,
राम तेरी आयो।।
कुटुंब तजि शरण,
राम तेरी आयो।।
स्वर – रामस्वरूप भोपा।
प्रेषक – सुभाष काकड़ा।
9024909170