कूपा रो नीर किन विद सूखे जी भजन लिरिक्स

कूपा रो नीर किन विद सूखे जी,

दोहा – संत बडे परमार्थी,
और शीतल ज्यारा अंग,
तपत बूजावे ओरो की,
वे देदे अपना रंग।

कूपा रो नीर किन विद सूखे जी,
कुपा रो नीर किन विद सूखे,
सीर सायरीया सु आवे ओ,
गुरासा बिन,
कुन माने प्रेम जल पावे हे जी।।



कर्मा री झांज दो परकारा ओ,

शुभ अशुभ कहावे ओ जी,
अशुभ कर्म ने मार हटावे ओ,
राम नाम चित लावे ओ,
गुरासा बिन,
कुन माने प्रेम जल पावे हे जी।।



सतगुरु मारा चंदन स्वरूपी ओ,

भवरवासना लावे ओ जी,
लिपटीयोडा भुजंगी मगन होई जावे ओ,
अरे कदे छोड नहीं जावे ओ,
गुरासा बिन,
कुन माने प्रेम जल पावे हे जी।।



सतगुरु मारा भंवर स्वरूपी ओ,

ईत पकडने लावे ओ जी,
कर गुंजारी शब्द सुनावे ओ,
अरे होई भवर उड जावे ओ,
गुरासा बिन,
कुन माने प्रेम जल पावे हे जी।।



दूध माई घिरत मेहन्दी मे लाली,

ज्ञान गुरासा सु आवे ओ जी,
कहत कबीर सुनो भई संतो ओ,
भाग पुरबला खावे ओ,
गुरासा बिन,
कुन माने प्रेम जल पावे हे जी।।



कुपा रो नीर किन विद सूखे जी,

कुपा रो नीर किन विद सूखे,
सीर सायरीया सु आवे ओ,
गुरासा बिन,
कुन माने प्रेम जल पावे हे जी।।

गायक – प्रकाश माली जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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