खाटू सी नगरी हो,
नगरी हो सीकर सी,
खाटू सा नजारा हो,
हो मोड़ वो रींगस का,
बस श्याम हमारा हो।।
हो हाथ निशान मेरे,
हारे के सहारे का,
मुझे दास बना लो श्याम,
सेवक हूँ तेरे दर का,
संकट मिट जाते है,
बस साथ तुम्हारा हो,
हो मोड़ वो रींगस का,
बस श्याम हमारा हो।।
ग्यारस की रात को मैं,
कीर्तन करवाऊंगा,
घर आ जाए आप प्रभु,
जी भर के खिलाऊंगा,
हारे के सहारे का,
अंदाज निराला हो,
हो मोड़ वो रींगस का,
बस श्याम हमारा हो।।
आ जाए कोई तेरे दर,
खाली नहीं जाता है,
जो मन में ठान लिया,
वह सब मिल जाता है,
कहता है ‘सचिन’ सुन लो,
विश्वास हमारा हो,
हो मोड़ वो रींगस का,
बस श्याम हमारा हो।।
खाटू सी नगरी हो,
खाटू सा नजारा हो,
हो मोड़ वो रींगस का,
बस श्याम हमारा हो।।
गायक / प्रेषक – सचिन निगम।
बाराबंकी 8756825076