खाटू के देव हो सिद्ध तुम्हीं,
घनश्याम तुम्हारा क्या कहना,
घनश्याम तुम्हारा क्या कहना,
मेरे श्याम तुम्हारा क्या कहना,
खाटु के देव हो सिद्ध तुम्हीं,
घनश्याम तुम्हारा क्या कहना।।
तर्ज – दुनिया में देव हजारों है।
हारे के यही सहारे है,
ये सचे साथी हमारे है,
आते दर पर लाखो इसके,
ये सब के काम बनाते है,
खाटु के देव हो सिद्ध तुम्हीं,
घनश्याम तुम्हारा क्या कहना।।
ये भीम सेन के प्यारे है,
माँ की आँखों के तारे है,
जो दीन हीन दर पे आये,
ये सबको गले लगाते है,
खाटु के देव हो सिद्ध तुम्हीं,
घनश्याम तुम्हारा क्या कहना।।
फागुण में मेला लगता है,
यहाँ बिगड़ा काम संवरता है,
खुशियों से भर जाती झोली,
जो सचे मन से ध्याता है,
खाटु के देव हो सिद्ध तुम्हीं,
घनश्याम तुम्हारा क्या कहना।।
जो सब दर से ठुकराये है,
वो श्याम शरण में आये है,
चलते खाटू नगरी में हम,
‘पुलकित सिंह’ लाल लिख गाते है,
खाटु के देव हो सिद्ध तुम्हीं,
घनश्याम तुम्हारा क्या कहना।।
खाटू के देव हो सिद्ध तुम्हीं,
घनश्याम तुम्हारा क्या कहना,
घनश्याम तुम्हारा क्या कहना,
मेरे श्याम तुम्हारा क्या कहना,
खाटु के देव हो सिद्ध तुम्हीं,
घनश्याम तुम्हारा क्या कहना।।
Singer / Upload – Pulkit Singla
9485514597