खाटू के बाबा श्याम,
तू लीले चढ़ कर आजा,
तू लीले चढ़ कर आजा,
तू लीले चढ़ कर आजा,
भक्ता का कष्ट मिटा जा,
हो जा मन का पूरण काम,
तू लीले चढ़ कर आजा।।
नैया पड़ गई बीच भंवर में,
भारी अठा है जल में,
नैया हो रही डामा डोल,
केवट बन पार लगा जा,
खाटु के बाबा श्याम,
तू लीले चढ़ कर आजा।।
मैं गयो ना दूजे द्वारो,
जो दिखे मोहे सहारो,
बाबा थारो ही आधार,
तू आकर कष्ट मिटा जा,
खाटु के बाबा श्याम,
तू लीले चढ़ कर आजा।।
‘आलूसिंह’ कहे सुणो प्यारा,
दयो हुकुम हो निष्तारा,
घनश्याम को तू ही श्याम,
तू लीले चढ़ कर आजा,
खाटु के बाबा श्याम,
तू लीले चढ़ कर आजा।।
खाटू के बाबा श्याम,
तू लीले चढ़ कर आजा,
तू लीले चढ़ कर आजा,
तू लीले चढ़ कर आजा,
भक्ता का कष्ट मिटा जा,
हो जा मन का पूरण काम,
तू लीले चढ़ कर आजा।।
स्वर – संजय मित्तल जी।
प्रेषक – राघवेंद्र तिवारी (नोखा)