खजाना कृपा का लुटाया,
मेरे स्वामी जु ने,
रस का सागर है बहाया,
मेरे स्वामी जु ने।bd।
तर्ज – तेरी गलियों का हूँ आशिक।
युगल नाम में सदा लीन,
बांके पथ गामी,
गान कला अति प्रवीण,
सुख सागर स्वामी,
नित्य विहार प्रकटाया,
मेरे स्वामी जु ने,
रस का सागर है बहाया,
मेरे स्वामी जु ने।bd।
शरण में इनकी जो भी आए,
उनके भाग्य जगे,
युगल के प्रेम रस को पाकर,
भव से पार लगे,
‘चित्र विचित्र’ को अपनाया,
मेरे स्वामी जु ने,
रस का सागर है बहाया,
मेरे स्वामी जु ने।bd।
खजाना कृपा का लुटाया,
मेरे स्वामी जु ने,
रस का सागर है बहाया,
मेरे स्वामी जु ने।bd।
स्वर – बाबा श्री चित्र विचित्र जी महाराज।