करता रहूं कीर्तन तेरा,
करना प्रभु बस ये कृपा,
तुम हमारे लिए, तुम हमारे लिए,
तुम हमारे लिए, तुम हमारे लिए।।
धूप पड़े जब जब संकट की बाबा,
तो कर देना तुम कर कमलो की छैया,
भटकूं जब माया में पड़के जग में,
तब थाम लेना आकर के बईया,
छूटे ना हमसे अब कभी,
ये तेरे चरणा,
करता रहूँ कीर्तन तेरा,
करना प्रभु बस ये कृपा,
तुम हमारे लिए, तुम हमारे लिए,
तुम हमारे लिए, तुम हमारे लिए।।
मैं भी आया हूँ तेरी शरण में,
अब प्यास बुझा दो मेरे मन की,
लेकर मैं एक आस खड़ा हूँ दर पे,
ऐ श्याम बाबा तेरे दर्शन की,
अब दिल को तोड़के तुम मेरे,
इंकार ना करना,
करता रहूँ कीर्तन तेरा,
करना प्रभु बस ये कृपा,
तुम हमारे लिए, तुम हमारे लिए,
तुम हमारे लिए, तुम हमारे लिए।।
सबकी तुम विनती सुनते हो बाबा,
तो मेरी भी एक विनती को सुन लेना,
धुल चरण ‘लख्खा’ को अपने दे कर,
इस ‘शर्मा’ की झोली को भर देना,
मैं तो बस आया हूँ प्रभु आपके,
आपके ही शरणा,
करता रहूँ कीर्तन तेरा,
करना प्रभु बस ये कृपा,
तुम हमारे लिए, तुम हमारे लिए,
तुम हमारे लिए, तुम हमारे लिए।।
करता रहूं कीर्तन तेरा,
करना प्रभु बस ये कृपा,
तुम हमारे लिए, तुम हमारे लिए,
तुम हमारे लिए, तुम हमारे लिए।।
स्वर – लखबीर सिंह लख्खा जी।