कर ले भजन प्राणी,
श्यामा श्याम नाम का,
मिल जाए वास तुझे,
वृंदावन धाम का,
राधे श्याम राधे श्याम,
राधे श्याम श्याम श्याम,
सीता राम सीता राम,
सीता राम राम राम।।
प्रात होत ही श्री यमुना,
स्नान करत सुख पाऊंगा,
श्री निधिवन में बैठ के,
स्वामी जी के गुण नित गाऊंगा,
बांके बिहारी की लीला,
सिंगार रूप अभिराम का,
कर लें भजन प्राणी,
श्यामा श्याम नाम का,
मिल जाए वास तुझे,
वृंदावन धाम का।।
श्री गुरु वृंदा विपिन बसावे,
सहज कृपा बरसावे,
श्री हरि से मिलने का गुरुवर,
सहज मार्ग दर्शावे,
हरि गुरु एक समान दोउ है,
यही साधन है विश्राम का,
कर लें भजन प्राणी,
श्यामा श्याम नाम का,
मिल जाए वास तुझे,
वृंदावन धाम का।।
‘चित्र विचित्र’ कहे रे मनवा,
श्री वृंदावन बसियो रे,
प्रभु प्रेम की भक्ति में तू,
पागल बन कर रहीयो रे,
मिल जाए तुझे प्राणन प्यारा,
यही फल जीवन की शाम का,
कर लें भजन प्राणी,
श्यामा श्याम नाम का,
मिल जाए वास तुझे,
वृंदावन धाम का।।
कर ले भजन प्राणी,
श्यामा श्याम नाम का,
मिल जाए वास तुझे,
वृंदावन धाम का,
राधे श्याम राधे श्याम,
राधे श्याम श्याम श्याम,
सीता राम सीता राम,
सीता राम राम राम।।
स्वर – श्री चित्र विचित्र जी महाराज।
प्रेषक – राजपाल गगनेजा।
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