कान्हा खो गया दिल मेरा,
तेरे वृन्दावन में,
तर्ज – श्री राम जानकी।
कान्हा खो गया दिल मेरा,
तेरे वृन्दावन में,
तेरे वृन्दावन की इन गलियो में,
कान्हा खो गया दील मेरा,
तेरे वृन्दावन में।।
तेरी मुरली की धुन जो बजती है,
तेरी मुरली की धुन जो बजती है,
सारी गोपियो को प्यारी लगती है,
सारी गोपियो को प्यारी लगती है,
कैसा जादू भरा इन तानो में,
कैसा जादू भरा इन तानो में,
कान्हा खो गया दील मेरा,
तेरे वृन्दावन में।।
तेरी यमुना की निर्मल धारा है,
तेरी यमुना की निर्मल धारा है,
सब पापियो को इसने तारा है,
सब पापियो को इसने तारा है,
कैसा जादू भरा इन लहरो में,
कैसा जादू भरा इन लहरो में,
कान्हा खो गया दील मेरा,
तेरे वृन्दावन में।।
तेरे मंदिरो में चैन मिलता है,
तेरे मंदिरो में चैन मिलता है,
फूल मुरझाया फिरसे खिलता है,
फूल मुरझाया फिरसे खिलता है,
कैसा जादू भरा इन नैनो में,
कैसा जादू भरा इन नैनो में,
कान्हा खो गया दील मेरा,
तेरे वृन्दावन में।।
कान्हा खो गया दील मेरा,
तेरे वृन्दावन में,
तेरे वृन्दावन की इन गलियो में,
कान्हा खो गया दील मेरा,
तेरे वृन्दावन में।।