कान्हा काकरिया मत मार,
मटकिया फूट जावेली,
फूट जावेली चुनड़ मारी भीगे जावेली,
कान्हा कंकरिया मत मार,
मटकिया फूट जावेली।।
हे आमा सामा मेल मालिया,
लग गई आंखड़ली,
दर्शन कैसे पाऊं सांवरा,
आडी भीतड़ली,
कान्हा कंकरिया मत मार,
मटकिया फूट जावेली।।
रुनझुन रुनझुन पाणी ने चाली,
सिर पर गागड़ली,
सामी मिलगो कंवर कानूडो,
आ गई लाजड़ली,
कान्हा कंकरिया मत मार,
मटकिया फूट जावेली।।
थे तो मारा घर का ठाकुर,
मैं भी ठकुराणी,
आडो टेडो काई रे चाल,
मैं भी आटड़ली,
कान्हा कंकरिया मत मार,
मटकिया फूट जावेली।।
नव लक धीणो नंद घर दुजे,
एक न बाखड़ली,
माखण माखण कानो खावे,
रखें छाछड़ली,
कान्हा कंकरिया मत मार,
मटकिया फूट जावेली।।
वृंदावन में रास रचावे,
मोर की पाखड़ली,
चंद्र सखी भज बाल की शोभा,
चरणा चाकड़ली,
कान्हा कंकरिया मत मार,
मटकिया फूट जावेली।।
कान्हा काकरिया मत मार,
मटकिया फूट जावेली,
फूट जावेली चुनड़ मारी भीगे जावेली,
कान्हा कंकरिया मत मार,
मटकिया फूट जावेली।।
प्रेषक – सुभाष सारस्वत काकड़ा।
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