कान्हा ऐसी मारी पिचकारी,
दोहा – इत राधा उत नन्द का लाला,
लगे रंग बरसाने,
सूखा कोई बच ना पायो,
मधुप आज बरसाने।
कान्हा ऐसी मारी पिचकारी,
सारी की सारी भीग गई,
भीग गई रे कान्हा भीग गई,
कान्हा ऐसीं मारी पिचकारी,
सारी की सारी भीग गई।bd।
मैं गोवर्धन गांव की छोरी,
आई थी देखन लठ होरी,
आके बरसाने भूली सुध सारी,
सारी की सारी भीग गई,
भीग गई रे कान्हा भीग गई,
कान्हा ऐसीं मारी पिचकारी,
सारी की सारी भीग गई।bd।
रंग गुलाल बदरिया छाई,
ढालों पर लठ धूम मचाई,
राधा कान्हा की गत जो संवारी,
सारी की सारी भीग गई,
भीग गई रे कान्हा भीग गई,
कान्हा ऐसीं मारी पिचकारी,
सारी की सारी भीग गई।bd।
भागत कान्हा इधर जो आया,
मो पे ऐसा रंग बरसाया,
मेरी शकल बिगड़ गई सारी,
सारी की सारी भीग गई,
भीग गई रे कान्हा भीग गई,
कान्हा ऐसीं मारी पिचकारी,
सारी की सारी भीग गई।bd।
खसम करेगा मेरी खूब पिटाई,
लाज ‘मधुप’ अब हाथ कन्हाई,
मेरी रक्षा करो गिरधारी,
सारी की सारी भीग गई,
भीग गई रे कान्हा भीग गई,
कान्हा ऐसीं मारी पिचकारी,
सारी की सारी भीग गई।bd।
कान्हा ऐसी मारी पिचकारी,
सारी की सारी भीग गई,
भीग गई रे कान्हा भीग गई,
कान्हा ऐसीं मारी पिचकारी,
सारी की सारी भीग गई।bd।
Singer – Surbhi Chaturvedi
वाह क्या अवाज है|