कालिका माता जी की लावणी लिखित में

कालिका माता जी की लावणी

दुर्गा दुख भंजन,
दुर्ग चित्तौड़ पर,
करे राज कालका।।



चित्तौड़ दुर्ग पर बैठी कालका,

चारों ही खुट में राजे,
अद्भुत आयुध ढाल हाथ में,
शक्ति सिंह विराजे,
शक्ति सिह विराजे,
या भक्ता ने उभारणी,
देवों की करें रक्षा जो,
दानव मारनी,
करे राज कालका।।



बड़े बड़े बलवान भूपति,

हुए तो गढ़ चित्तौड़,
जिनकी इस पृथ्वी मंडल पर,
करे ना कोई होड,
करे ना कोई होड,
ये रण में रणधीर की,
ध्यावे शकल इतिहास,
मेवाड़ी वीर कीजी,
करे राज कालका।।



देश धर्म जाति हित गौरव,

लड़े तो युद्ध कहीं बाहर,
एजी रण कौशल रणवीरो को दें,
रण चंडी ओ तलवार,
एजी रण चंडी तलवार,
विजय की चलाई के हा,
विजय पताका,
विजय स्तंभ पर फहराई,
करे राज कालका।।



महाराणा सांगा और कुंभा,

प्रताप सिंह प्रण भारी,
एजी गोरा बादल फत्ता जयमल,
कला राठौड़ पतभारी,
कला राठौड़ पथभारी,
बहाई नदी खून की,
एजी गए अमरपुर छोड़,
थापना उन की जी,
करे राज कालका।।



स्वामी भक्त पन्ना धाय बाई,

मीरा तो भक्त हरि की,
एजी कूद आग में जौहर कीना,
पद्मन फुल सरीकी की,
एजी पद्मन फुल सरीकी,
संग में कई रानियां चेनराम,
युद्ध किले पर निशानियां जी,
करे राज कालका।।



दुर्गा दुख भंजन,

दुर्ग चित्तौड़ पर,
करे राज कालका।।

कालिका माता जी की लावणी,

प्रेषक – नारायण पूरी मांगरोल।
7737114444


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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