कैसे दर तेरे आऊं मेरी समझ में कुछ न आये

कैसे दर तेरे आऊं,
मेरी समझ में कुछ न आये,
बाबोसा चूरू वाले,
तेरी याद मुझे तड़पाये।।



चूरू धाम जाने की,

मुझको लागी लगन,
दर्श तेरा पाने को,
हो रहा मन ये मगन,
मंतर ऐसा घुमा दो,
कोई रस्ता निकल आये,
कैसे दर तेरे आऊँ,
मेरी समझ में कुछ न आये।।



चूरू की पावन रज को,

मस्तक पर मैं लगाऊँ,
तेरी शरण मे आकर,
भक्ति में रम जाँऊ,
मेरे दिल की सदा,
तेरे कानो में पड़ जाये,
कैसे दर तेरे आऊँ,
मेरी समझ में कुछ न आये।।



चूरू के मंदिर में तेरा,

चल रहा होगा कीर्तन,
भजन प्रवाहक सुना रहे,
होंगे बाबोसा भजन,
काश मेरी किस्मत मुझको,
तेरे दरबार ले आये,
कैसे दर तेरे आऊँ,
मेरी समझ में कुछ न आये।।



कलयुग के अवतारी,

सुनलो अर्ज हमारी,
दर पे बुलाओ ना बुलाओ,
मर्जी अब है तुम्हारी,
याद में पागल होकर,
मेरे नैना अश्क बहाये,
कैसे दर तेरे आऊँ,
मेरी समझ में कुछ न आये।।



भेष बदलकर आया,

माँ छगनी का लाला,
‘दिलबर’ क्यो घबराये,
तेरे साथ है चूरू वाला,
बैठ गाड़ी में जल्दी,
ये गाड़ी चूरू जाये,
अब ये समझ मे आया,
बाबोसा दरश दिखाये,
बाबोसा खुद चलकर,
मुझे लेने को है आये।।



कैसे दर तेरे आऊं,

मेरी समझ में कुछ न आये,
ओ बाबोसा चूरूवाले,
तेरी याद मुझे तड़पाये।।

गायिका – मीनाक्षी भूतेडिया मुम्बई।
लेखक – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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