काई करा गुरू जी,
माने भी जगत में रेणो,
काई बात आसे नी आवे,
तोई जोरावरी सु हँस लेणो,
कई करा गुरू जी,
माने ई जगत माई रेणो।।
मायाजाल मे फँस गयो काटो,
यो लेणो यो देणो,
मगरमच्छ से बैर खटे नहीं,
अणी समदं में रेणो,
कई करा गुरू जी,
माने ई जगत माई रेणो।।
कोई काई केवे कोई काई केवे,
सगला की सुण लेणो,
मनकी ऊँट ने खीच ले गई,
गाम केवे ज्यु केणो,
कई करा गुरू जी,
माने ई जगत माई रेणो।।
जस्यो बायरो बाजे बगत,
बस्यो तुवायो लेणो,
आपणी गरज के वास्ते,
वेण्डा ने समझणो केणो,
कई करा गुरू जी,
माने ई जगत माई रेणो।।
धुप छाया नही देखा रात दिन,
पड़े बलद ज्यु बेणो,
आपणो काम बणावा खातिर,
सुम ने करण के देणो,
कई करा गुरू जी,
माने ई जगत माई रेणो।।
भगति वगति नही वे ‘ऊकारा’,
चेतन शरणे रेणो,
निकल्या वे दिन देख्या रे भाया,
अब आगे वेणो,
कई करा गुरू जी,
माने ई जगत माई रेणो।।
काई करा गुरू जी,
माने भी जगत में रेणो,
काई बात आसे नी आवे,
तोई जोरावरी सु हँस लेणो,
कई करा गुरू जी,
माने ई जगत माई रेणो।।
गायक – जगदीश वैष्णव जी।
प्रेषक – लहरी लाल।
9057243272