कहाँ ठौर थी,
हम गरीबो को जग में,
अगर तुमने दिल में,
बसाया ना होता,
मर ही गए होते,
हम तो कभी के,
अगर तेरी रहमत का,
साया ना होता,
साथी मेरा श्याम हुआ है,
राजी घन श्याम हुआ है।।
तर्ज – तू धरती पे चाहे।
लिए जो आंख में आंसू,
कोई बुलाता है,
लिए संग मोरछड़ी,
दौड़ा चला आता है,
फंसी जो नाव कभी,
माँझी ये बन जाता है,
अपने प्रेमी को सदा,
जीत दिलवाता है,
मेरे मोहन मेरे माधव,
साँवरे मेरे प्यारे,
जमाना तो कब का,
मिटा देता हमको,
अगर तुमने आकर,
बचाया ना होता,
साथी मेरा श्याम हुआ है,
राजी घन श्याम हुआ है।।
कभी भी आंच ना आने दे,
सारे गम पी ले,
सिर पे रखे हाथ सदा,
ना हो नैना गीले,
कभी मीरा कभी कर्मा,
कभी सुदामा के,
छांव बन जाये घनी,
खुशी के पुष्प खिले,
मेरे मोहन मेरे माधव,
साँवरे मेरे प्यारे,
क्या हाल होता,
ना जाने हमारा,
तरस हमपे तुमने,
जो खाया न होता,
साथी मेरा श्याम हुआ है,
राजी घन श्याम हुआ है।।
कहाँ ठौर थी,
हम गरीबो को जग में,
अगर तुमने दिल में,
बसाया ना होता,
मर ही गए होते,
हम तो कभी के,
अगर तेरी रहमत का,
साया ना होता,
साथी मेरा श्याम हुआ है,
राजी घन श्याम हुआ है।।
गायक – मुकेश कुमार मीना।