सुख दुख दोनो रहते जिसमे,
जीवन है वो गाँव,
कभी धूप कभी छाव,
कभी धूप तो कभी छाव,
उपर वाला पासा फेंके,
नीचे चलते दाँव,
कभी धुप कभी छाव,
कभी धूप तो कभी छाव।।
भले भी दिन आते जगत में,
बुरे भी दिन आते,
भले भी दिन आते जगत में,
बुरे भी दिन आते,
कड़वे मीठे फल करम के,
यहाँ सभी पाते,
कभी सीधे कभी उलटे पड़ते,
अजब समय के पाँव,
कभी धुप कभी छाव,
कभी धूप तो कभी छाव।।
क्या खुशियाँ क्या गम,
ये सब मिलते बारी बारी,
क्या खुशियाँ क्या गम,
ये सब मिलते बारी बारी,
मलिक की मर्ज़ी पे चलती,
ये दुनिया सारी,
ध्यान से खेना जग नदिया में बंदे,
अपनी नाव,
कभी धुप कभी छाव,
कभी धूप तो कभी छाव।।
सुख दुख दोनो रहते जिसमे,
जीवन है वो गाँव,
कभी धूप कभी छाव,
कभी धुप तो कभी छाव,
उपर वाला पासा फेंके,
नीचे चलते दाँव,
कभी धूप तो कभी छाव,
कभी धूप तो कभी छाव।।
Man shant aur prasanna ho jata hai asa yah bhajan ha
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