ॐ जय जोतराम हरे,
देवा जय जोतराम हरे,
दीन दुखी का दुखड़ा,
पल में बाबा दूर करे। ॐ जय…।।
परमार्थ करने का,
मन में ढृढ़ निश्चय करे,
भभूता सिद्ध गुरु जी,
आशा पूरी करे। ॐ जय…।।
काया त्याग कर निर्देह होकर,
जन पर उपकार करे,
जो ध्यावे फल पावे,
पूरी मुराद करे। ॐ जय…।।
कहलाता कलयुग का देवता,
बाँझो की गोद भरे,
देता भभूती की पुड़िया,
विपदा दूर करे। ॐ जय…।।
साचो का है संगाती,
पूर्ण काज करे,
कपटी जन से हरदम,
रहता परे परे। ॐ जय…।।
सेवा पूजा जोतराम जी की,
जो नित नेम करे,
व्यापे नहीं कोई चिंता,
पुरे भण्डार भरे। ॐ जय…।।
जोतराम जी की आरती,
जो कोई भगत करे,
कहे जगदीश उसके,
बिगड़े काम बने। ॐ जय…।।
ॐ जय जोतराम हरे,
देवा जय जोतराम हरे,
दीन दुखी का दुखड़ा,
पल में बाबा दूर करे। ॐ जय…।।
लेखक – स्व. श्री जगदीश लाल सारस्वत जी।
प्रेषक – संजीव टोहाना।
9896578391