जोगी भेष धरकर,
नंदी पे चढ़कर।
तर्ज – ये माना मेरी जा।
दोहा – देखो देखो ये बाराती,
ये बारातियों का हाल,
बैल पर चढ़कर,
मेरे भोलेनाथ आए है,
अंधे काणे और लूले लंगड़े,
संग में बाराती लाए है।
जोगी भेष धरकर,
नंदी पे चढ़कर,
गौरा को बिहाने,
भोलेनाथ आ गए है,
देख देख दूल्हा और बाराती,
देख देख दूल्हा और बाराती,
राजा हिमाचल मैना घबरा रहे है,
राजा हिमाचल मैना घबरा रहे है,
जोगी भेंष धरकर,
नंदी पे चढ़कर,
गौरा को बिहाने,
भोलेनाथ आ गए है।।
देखकर के दूल्हा सखिया,
घबरा गई है,
दौड़ी दौड़ी गौरा के,
पास आ गई है,
बोली सखिया जाकर,
दुल्हा सौ बरस का,
मुंह से बाहर उसके,
दांत आ रहे है,
जोगी भेंष धरकर,
नंदी पे चढ़कर,
गौरा को बिहाने,
भोलेनाथ आ गए है।।
माथे पे चंदा,
जटा में है गंगा,
भस्म रमाए भोला,
मस्त मलंगा,
भुत प्रेत सारे,
ढोलक बजाए,
शुक्र शनिचर,
नाच गा रहे है,
जोगी भेंष धरकर,
नंदी पे चढ़कर,
गौरा को बिहाने,
भोलेनाथ आ गए है।।
हाथ जोड़कर के,
बोली गौरा प्यारी,
रूप दिखाओ असली,
भोले भंडारी,
सतरह बरस के,
बने भोले बाबा,
‘लोहिया’ कहे ये मेरे,
मन भा गए है,
जोगी भेंष धरकर,
नंदी पे चढ़कर,
गौरा को बिहाने,
भोलेनाथ आ गए है।।
जोगी भेष धरकर,
नंदी पे चढ़कर,
गौरा को बिहाने,
भोलेनाथ आ गए है,
देख देख दूल्हा और बाराती,
देख देख दूल्हा और बाराती,
राजा हिमाचल मैना घबरा रहे है,
राजा हिमाचल मैना घबरा रहे है,
जोगी भेंष धरकर,
नंदी पे चढ़कर,
गौरा को बिहाने,
भोलेनाथ आ गए है।।
गायक – राजेश लोहिया जी।