जो करता है वो भरता है,
चाहे पूछो किसी बाशिंदे पे,
चाईना ने लटका दी है दुनिया,
कोरोना वाले फंदे पे।।
पशु-पक्षियों को मारके,
वो चाईना वाले खा गए,
वो चाईना वाले खा गए,
जितना पाप किए थे,
सब उनके आगे आ गए,
सब उनके आगे आ गए,
दुनिया में आज मंडरा गए,
दुनिया में मंडरा आज गए,
खतरे हर एक बंदे पे,
चाईना ने लटका दी है दुनिया,
कोरोना वाले फंदे पे।।
सारी दुनिया में सबसे ज्यादा,
काम वहां पे अवैध हुए,
काम वहां पे अवैध हुए,
अपने ही मकानों में आज,
दुनिया वाले कैद हुए,
दुनिया वाले कैद हुए,
सब फैल हकीम-वैद हुए,
सब फैल हकीम-वैद हुए,
और असर पड़ रहा धंधे पे,
चाईना ने लटका दी है दुनिया,
कोरोना वाले फंदे पे।।
भारत देश ने खतरा देखके,
भेजा अपना विमान,
वहां भेजा अपना विमान,
अपने आदमी बाहर निकाले,
लाए हिंदुस्तान ,
ले आए हिंदुस्तान,
रिक्वैस्ट करे ये “तहलान”,
रिक्वैस्ट करे “तहलान”,
लगे,रोक इरादे गंदे पे,
चाईना ने लटका दी है दुनिया,
कोरोना वाले फंदे पे।।
जो करता है वो भरता है,
चाहे पूछो किसी बाशिंदे पे,
चाईना ने लटका दी है दुनिया,
कोरोना वाले फंदे पे।।
रचनाकार – फौजी तहलान जसौर खेड़ी
स्वर : सविता गर्ग “सावी”
प्रेषक – प्रदीप सिंघल।