जीवन के सवालों का,
जब पार नहीं पाया,
आँखों में लिए आंसू,
तेरे द्वार चला आया,
जीवन के सवालो का।।
तर्ज – एक प्यार का नगमा।
ये खेल ज़माने का,
मैंने तब जाना था,
उनसे ही दगा खाया,
अपना जिन्हे माना था,
मतलब की दुनिया ने,
मुझको जब ठुकराया,
आँखों में लिए आंसू,
तेरे द्वार चला आया,
जीवन के सवालो का।।
ऐसा ना मिला कोई,
जो साथ निभा देता,
ग़ुरबत में जो ‘केसर’ पर,
जो हाथ फिरा देता,
हालात पे जब मेरे,
ना किसी ने तरस खाया,
आँखों में लिए आंसू,
तेरे द्वार चला आया,
जीवन के सवालो का।।
ये दर्द मेरे दिल में,
घुटकर ही रह जाता,
सच कहता हूँ तेरा,
गर प्यार नहीं पाता,
शुकराना करूँ कैसे,
ना ‘तरुण’ ये समझ पाया,
आँखों में लिए आंसू,
तेरे द्वार चला आया,
जीवन के सवालो का।।
जीवन के सवालों का,
जब पार नहीं पाया,
आँखों में लिए आंसू,
तेरे द्वार चला आया,
जीवन के सवालो का।।
स्वर – रिंकू श्रीवास ‘ रसिक’