जिस पथ पे चला,
उस पथ पे मुझे,
आँचल तो बिछाने दे,
साथी ना समझ,
कोई बात नहीं,
मुझे साथ तो आने दे।।
थक जायेगा जब राहों में,
बाहों का सिरहाना दूँगी,
तेरे सुने सुने जीवन में,
मैं प्यार का रंग भर दूँगी,
मुझे तेरे कदम,
नहीं बिंदीया से कम,
माथे पे सजाने दे।।
जीवन की डगर पे तुझ को,
साथी की ज़रूरत होगी,
दिया कैसे जलेगा अकेले,
बाती की ज़रूरत होगी,
मैं बनूँगी पिया,
तेरे पथ का दिया,
दिया पथ में जलाने दे।।
जिस पथ पे चला,
उस पथ पे मुझे,
आँचल तो बिछाने दे,
साथी ना समझ,
कोई बात नहीं,
मुझे साथ तो आने दे।।
स्वर – बृज रस अनुरागी पूनम दीदी।