जिनकी जटाओं में गंगा की धार भजन लिरिक्स

जिनकी जटाओं में गंगा की धार,
जिनके गले में मुंडो की माल,
बड़े ही निराले है मेरे भोले बाबा,
बड़े ही निराले है मेरे भोले बाबा।।

तर्ज – आने से उसके।



पास ना कौड़ी रखते,

भोला भरते है सबके खजाने,
सब रहते है घरों में,
भोला खुद रहते है विरानो में,
पीते है भंग सदा,
भर भर प्याले है,
मेरे भोले बाबा,
बड़े ही निराले है मेरे भोले बाबा।।



आओ मेरे भोले,

मैं तो बैठा हूँ आसन लगाए,
दो दरस त्रिपुरारी,
मैं तो राहों में पलके बिछाए,
आ जाओ आप प्रभु,
तेरी महिमा गाए है,
मेरे भोले बाबा,
बड़े ही निराले है मेरे भोले बाबा।।



जिनकी जटाओं में गंगा की धार,

जिनके गले में मुंडो की माल,
बड़े ही निराले है मेरे भोले बाबा,
बड़े ही निराले है मेरे भोले बाबा।।

गायक / प्रेषक – आचार्य आलोक शास्त्री।
9669055208


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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