जिनके ह्रदय में हरपल,
सीताराम जी करे बसेरा,
वो हनुमान है मेरा,
बजरंग बलि है मेरा,
जो तेज गति से ब्रम्हांड में,
लगा रहा है फेरा,
वो हनुमान है मेरा,
बजरंग बलि है मेरा।।
तर्ज – जहाँ डाल डाल पर सोने की।
हनुमान की एक हुंकार से सारे,
दुष्ट असुर घबराए,
जब मारे घुसा पर्वत पे,
वो चकनाचूर हो जाए,
प्रभु राम के चरणों में जिसने,
डाला है अपना डेरा,
वो हनुमान है मेरा,
बजरंग बलि है मेरा,
जो तेज गति से ब्रम्हांड में,
लगा रहा है फेरा,
वो हनुमान है मेरा,
बजरंग बलि है मेरा।।
है पवनपुत्र हनुमान की देखो,
कैसी है लीलाए,
नटखट हनुमान की लीला से,
सब ऋषि मुनि घबराए,
सूरज को मुख में दबा लिया तो,
जग में हुआ अँधेरा,
वो हनुमान है मेरा,
बजरंग बलि है मेरा,
जो तेज गति से ब्रम्हांड में,
लगा रहा है फेरा,
वो हनुमान है मेरा,
बजरंग बलि है मेरा।।
सौ योजन सागर लांघ के जो,
आए लंका के अन्दर,
रावण के सेनापति कहे,
ये बड़ा अजूबा बन्दर,
जब तक संजीवन ना लाए,
वो हनुमान है मेरा,
बजरंग बलि है मेरा,
जो तेज गति से ब्रम्हांड में,
लगा रहा है फेरा,
वो हनुमान है मेरा,
बजरंग बलि है मेरा।।
जिनके ह्रदय में हरपल,
सीताराम जी करे बसेरा,
वो हनुमान है मेरा,
बजरंग बलि है मेरा,
जो तेज गति से ब्रम्हांड में,
लगा रहा है फेरा,
वो हनुमान है मेरा,
बजरंग बलि है मेरा।।
स्वर – राकेश काला।