झीणी झीणी चांदनी में ओल्यूं आवै रे भजन लिरिक्स

झीणी झीणी चांदनी में,
ओल्यूं आवै रे।

दोहा – काजलियै री रेख स्यूं,
पाती लिखूं सजाए।
आणो व्है तो आन मिलो,
औ जीवन बीत्यो जाए।।



झीणी-झीणी चांदनी में,

ओल्यूं आवै रे, सांवरिया,
झीणी-झीणी चांदनी में,
ओल्यूं आवै रे,
बैरी ना आयो रे,-५
नादान सांवरा,
झीणी-झीणी चांदनी मे,
ओल्यूं आवै रे।।



मिलबा री बेला तांईं,

चूनड़ रंगाई रे,
मैं तो ना ओढूं रे-५,
नादान सांवरा,
झीणी-झीणी चांदनी मे,
ओल्यूं आवै रे।।



मिलबा री बेला तांईं,

नथणि मंगाई रे,
मैं तो ना पेहरु रे-५,
नादान सांवरा,
झीणी-झीणी चांदनी मे,
ओल्यूं आवै रे।।



मिलबा री बेला तांईं,

चुड़लो गढ़ायो रे,
मैं तो ना धारू रे-५,
नादान सांवरा,
झीणी-झीणी चांदनी मे,
ओल्यूं आवै रे।।



“हर्ष” कान्हूड़ा थां री,

सेज सजाई रे,
मैं तो ना पोढूं रे,-५
नादान सांवरा,
झीणी-झीणी चांदनी मे,
ओल्यूं आवै रे।।



झीणी झीणी चांदनी में,

ओल्यूं आवै रे, सांवरिया,
झीणी-झीणी चांदनी में,
ओल्यूं आवै रे,
बैरी ना आयो रे,-५
नादान सांवरा,
झीणी-झीणी चांदनी मे,
ओल्यूं आवै रे।।

– भजन प्रेषक –
विवेक अग्रवाल जी।
९०३८२८८८१५


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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