जीवन की सांसें कब,
रुक जाए हार कर,
रखना जतन से प्यारे,
इनको संवार कर,
रखना जतन से प्यारे,
इनको संवार कर।।
तर्ज – छुप गया कोई रे।
आंखों में हरि छवि,
कानों से ज्ञान सुन,
सुबह सबेरे गाओ,
सिर्फ एक राम धुन,
हर काम करना प्यारे,
प्रभु को पुकार कर,
रखना जतन से प्यारे,
इनको संवार कर,
रखना जतन से प्यारे,
इनको संवार कर।।
माथा श्री चरणों में,
हाथों से दान कर,
महल अटारी रूप,
रंग का न मान कर,
जीव्हा से राम नाम,
हर पल उचार कर,
रखना जतन से प्यारे,
इनको संवार कर,
रखना जतन से प्यारे,
इनको संवार कर।।
बचपन जवानी बीती,
अब तो भजन कर,
सत्संग गीता पाठ,
कोई जतन कर,
हिरदय में ‘राजेंद्र’
राम नाम धार कर,
रखना जतन से प्यारे,
इनको संवार कर,
रखना जतन से प्यारे,
इनको संवार कर।।
जीवन की सांसें कब,
रुक जाए हार कर,
रखना जतन से प्यारे,
इनको संवार कर,
रखना जतन से प्यारे,
इनको संवार कर।।
गीतकार/गायक – राजेन्द्र प्रसाद सोनी।
8839262340
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