जावा दो सहेलियां म्हाने,
शिवजी लडेला ये।
श्लोक – लाल नैत्र गोरे बदन,
और भस्मी लगावे अंग,
शिवजी तेरी जटा बीच में,
ओ बाबा बह रही है गंग,
बह रही है गंग संग,
भूतन का टोला,
पार्वती के पीहू सदाशिव,
पीवो भंग का गोला।।
जावा दो सहेलियां म्हाने,
शिवजी लडेला ये,
जावा दो सहेलियां माने,
औ शिवजी लडेला ये,
मासु राड तो करेला ये,
जावा दो सहेलियां माने।।
चिलम बनाई आई,
भांग में घोटाई आई,
पिवण की वैला,
पिवण की वैला,
शिव याद तो करेला ये,
जावा दो सहेलियां माने,
शिवजी लडेला ये।।
भोजन बणाई आई,
थाली में परोस आई,
जीमण की वैला,
जीमण की वैला,
पिवजी याद तो करेला ये,
जावा दो सहेलियां माने,
शिवजी लडेला ये।।
हरीयो हरीयो गास लाइ,
नांदीया ने डाल आई,
घूमने की वैला,
घूमने की वैला,
शिव जी याद तो करेला ये,
जावा दो सहेलियां माने,
शिवजी लडेला ये।।
ढोलीयो में ढाल आई,
सहेज बिछाई आई,
पोडन की वैला,
पोडन की वैला,
शिव जी याद तो करेला ये,
जावा दो सहेलियां माने,
शिवजी लडेला ये।।
कैवै गवरा पार्वती,
शुणो ये सहेलियां मारी,
शिव जी बीना कोई,
शिव जी बीना कोई,
काम नहीं चालेला ये,
जावा दो सहेलियां माने,
शिवजी लडेला ये।।
जावा दो सहेलियां म्हाने,
शिवजी लडेला ये,
जावा दो सहेलियां माने,
औ शिवजी लडेला ये,
मासु राड तो करेला ये,
जावा दो सहेलियां माने।।
– भजन प्रेषक –
रतन पुरी गोस्वामी,
सावलीया खेडा, 8290907236
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