जतन कर आपणा प्यारे कर्म की आस नहीं कीजे लिरिक्स

जतन कर आपणा प्यारे,
कर्म की आस नहीं कीजे।।



मानुस की देह है गुणकारी,

अक्ल पशुओं से है न्यारी,
वो ईश्वर की दया भारी,
फेर क्या मांग कर लीजे,
जतन कर आपणा प्यारें,
कर्म की आस नहीं कीजे।।



कर्म के आसरे सोवे,

वो नीच उनकी दशा होवे,
वो लोक परलोक सुख खोवे,
जतन बिना कौन प्रतीजे,
जतन कर आपणा प्यारें,
कर्म की आस नहीं कीजे।।



आलस से मूढ़ दुःख पावे,

कर्म का दोष बतलावे,
वो नहीं गुण सीखने जावे,
रात दिन सोच में सीजे,
जतन कर आपणा प्यारें,
कर्म की आस नहीं कीजे।।



विधि से जतन करो भाई,

सफल सब काम हो जाई,
वो ‘ब्रह्मानंद’ सुख पाई,
वो धीरज मन को सदा दीजे,
जतन कर आपणा प्यारें,
कर्म की आस नहीं कीजे।।



जतन कर आपणा प्यारे,

कर्म की आस नहीं कीजे।।

स्वर – पूज्य सन्त श्री हरिदास जी अटपड़ा।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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