जबसे मैया जी तेरा द्वार मिला,
खिला खिला खिला मेरा मन खिला,
चरणों का तेरे मैंने अमृत पिया,
जब से मैया जी तेरा द्वार मिला,
खिला खिला खिला मेरा मन खिला।।
तर्ज – तुने ओ रंगीले कैसा।
ये भी देखे – दर दर का भटकना छूट गया।
सबको बताऊं मैं हर्षाऊँ,
माँ ने बदल डाली दुनिया,
गले से लगाया मुझे दिखलाया,
मतलब की ये दुनिया,
दर पे बुला के खूब दिया,
जब से मैया जी तेरा द्वार मिला,
खिला खिला खिला मेरा मन खिला।।
जब मेरी मैया पकड़े हैं बईयाँ,
आए नहीं दुख जीवन में,
जब लहराए चुनरी की छइयाँ,
रहे नहीं कोई संकट में,
सर को झुका मैंने वंदन किया,
जब से मैया जी तेरा द्वार मिला,
खिला खिला खिला मेरा मन खिला।।
मेरी हर सांसे नाम है तेरे,
जैसे चला ले मुझको,
मन में मेरे भाव बहुत है,
पढ़ना होगा तुझको,
‘स्मिता’ पे तूने जादू किया,
जब से मैया जी तेरा द्वार मिला,
खिला खिला खिला मेरा मन खिला।।
जबसे मैया जी तेरा द्वार मिला,
खिला खिला खिला मेरा मन खिला,
चरणों का तेरे मैंने अमृत पिया,
जब से मैया जी तेरा द्वार मिला,
खिला खिला खिला मेरा मन खिला।।
Singer – Situ Rajasthani
Lyrics – Smita Sharma