इस योग्य हम कहाँ है गुरुवर तुम्हें रिझाए भजन लिरिक्स

इस योग्य हम कहाँ है,
गुरुवर तुम्हें रिझाए,
फिर भी मना रहे है,
शायद तू मान जाए,
इस योग्य हम कहाँ हैं,
गुरुवर तुम्हें रिझाए।।

तर्ज – दुनिया ने दिल दुखाया।



जब से जनम लिया है,

विषयों ने हमको घेरा,
छल और कपट ने डाला,
इस भोले मन पे डेरा,
सद्बुद्धि को अहम ने,
हरदम रखा दबाए,
इस योग्य हम कहाँ हैं,
गुरुवर तुम्हें रिझाए।।



निश्चय ही हम पतित है,

लोभी है स्वार्थी है,
तेरा ध्यान जब लगाए,
माया पुकारती है,
सुख भोगने की इच्छा,
कभी तृप्त हो ना पाए,
इस योग्य हम कहाँ हैं,
गुरुवर तुम्हें रिझाए।।



जग में जहाँ भी देखा,

बस एक ही चलन है,
एक दूसरे के सुख से,
खुद को बड़ी जलन है,
कर्मो का लेखा जोखा,
कोई समझ ना पाए,
इस योग्य हम कहाँ हैं,
गुरुवर तुम्हें रिझाए।।



जब कुछ ना कर सके तो,

तेरे चरण में आए,
अपराध मानते है,
झेलेंगे सब सजायें,
गोविन्द से अब मिला दो,
कुछ और हम ना चाहे,
इस योग्य हम कहाँ हैं,
गुरुवर तुम्हें रिझाए।।



इस योग्य हम कहाँ है,

गुरुवर तुम्हें रिझाए,
फिर भी मना रहे है,
शायद तू मान जाए,
इस योग्य हम कहाँ हैं,
गुरुवर तुम्हें रिझाए।।

स्वर – बृज रस अनुरागी पूनम दीदी।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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