इन चरणो मे वो जादू है,
पत्थर भी नारी बन जाती है।
(तर्ज :- तेरे चेहरे मेँ वो जादू है)
इन चरणो मे वो जादू है,
पत्थर भी नारी बन जाती है।
कैसे बिठाऊँ प्रभु मेरे,
कमजोर मेरी ये कश्ती है॥
इन चरणोँ मेँ …
आपके चरणोँ से लगकर,
नारी बन गया था एक पत्थर,
गायब हुआ गगन मेँ उड़कर,
मन मेँ बहुत मैँ घबराऊँ।
लकड़ी की नौका मेरी जो खो जाये,
धन्धा मेरा चौपट हो जाये,
परिवार सारा भूखा मर जाये,
कैसे मैँ अपना घर चलाऊँ।
इन चरणोँ को धोऊँगा पहले मेरी यह विनती है॥१॥
इन चरणोँ मेँ …
सुनके बात श्रीराम बोले,
हे केवट हो तुम बड़े भोले,
मन की शंका अपनी मिटालो,
इतनी सी बात से क्योँ घबराये।
धोने लगा जब प्रभु के चरण,
खुशी से भर गया केवट का मन,
धन्य हुआ मेरा जीवन,
आज प्रभु जो घर मेरे आये।
घड़ी ऐसी प्रभु दर्शन की किस्मत से मिलती है॥२॥
इन चरणोँ मेँ …
फिर दौड़के झट नाव लाया,
राम लखन सिया को बिठाया,
पार उनको नदी से लगाया,
तब देने लगे राम किराया।
बोले केवट नहीँ लूँगा उतराई,
माफ करना मुझे हे रघुराई,
मुझे देना भव सागर पार,
मैँने नदी पार जो लगाया।
आपकी कृपा से ही प्रभुजी नाव ‘खेदड़’ की चलती है॥३॥
इन चरणोँ मेँ …
इन चरणो मे वो जादू है,
पत्थर भी नारी बन जाती है।
कैसे बिठाऊँ प्रभु मेरे,
कमजोर मेरी ये कश्ती है॥
इन चरणोँ मेँ … by pkhedar